Satellite Toll System in India 2024: भारत में टेक्नोलॉजी के आने से हमारे जीवन में कई बदलाव आए हैं। पिछले कुछ सालों में चीजें इतनी आसान हो गई हैं कि अब हमें टोल प्लाजा पर लंबी कतारों में इंतजार नहीं करना पड़ता। कुछ ही मिनटों में हमारी बारी आ जाती है और हमारी कार पर लगे फास्टैग (Fastag) स्टीकर से हमें एंट्री मिल जाती है। अब हमें ना कैश की चिंता होती है ना ही टोल प्लाजा पर किसी बहस की ज़रूरत होती है।
और अब आने वाले कुछ महीनों में हमें टोल पर भी ब्रेक नहीं लगाना पड़ेगा। बस, हमारी कार टोल गेट के पास से गुजरेगी और आपको बिना रुके ही आगे बढ़ने की इजाज़त मिल जाएगी। इससे हमारा समय बचेगा और हमें और अधिक सहूलत मिलेगी। टेक्नोलॉजी ने हमारे जीवन को सरल और सुविधाजनक बना दिया है।
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Updates on Satellite Toll System in India 2024
NHAI जल्दी ही शुरू करेगा Satellite Toll System
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari, the Minister for Road Transport and Highways) ने संसद में सैटेलाइट टोल कलेक्शन सिस्टम (GPS toll collection system) को लेकर जानकारी दी, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि आने वाले कुछ ही दिनों में ये सिस्टम लागू हो जाएगा।
गडकरी ने अपने संबोधन में कहा, “सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम (GPS tolling) को हम पूरे देश में लाएंगे और सारे टोल नाके हटा देंगे, आपको कहीं रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी, नए टोल कलेक्शन सिस्टम को इसे बनाया गया है की आपकी नंबर प्लेट का फोटो अपने आप हाइवै (Highway) पर कैमरों से निकल जाएगा और आप जहां से एंट्री करेंगे और जहां से बाहर निकलेंगे उतना ही टोल लगेगा, ये पूरा सिस्टम आपके बैंक अकाउंट से लिंक होगा ताकि अपने आप टोल कट जाए। गडकरी ने कहा, अब आपको कोई नहीं रोकेगा और कोई तकलीफ नहीं होगी।”
नितिन गडकरी, ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India) (NHAI) जल्द ही नए सिस्टम को लागू करेगा। मंत्री ने राज्यसभा को बताया कि एनएचएआई (NHAI) March, 2024 तक राष्ट्रीय राजमार्गों पर Global Navigation Satellite System (GNSS) toll collection सिस्टम लागू करेगा।
कब और कहा पर लगेगा भारत का पेहला सैटेलाइट टोल कलेक्शन सिस्टम?
भारत सरकार जल्द ही 10-लेन मैसूर-बेंगलुरु एक्सप्रेसवे (10-lane Mysuru-Bengaluru Expressway) पर ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) पर आधारित टोल सिस्टम का परीक्षण शुरू करेगी।
परिवहन मंत्री ने यह भी बताया कि हम आचार संहिता लागू होने से पहले पूरे देशभर में ऐसी व्यवस्था लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। यानी अगले कुछ ही दिनों में सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम देश में लागू हो सकता है। क्योंकि मार्च में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं और उससे पहले चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान करेगा। तारीखों के ऐलान के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाएगी।
इस सैटेलाइट बेस्ड सिस्टम से आपकी कार के नंबर प्लेट की फोटो निकल जाएगी, जैसे ही आप किसी राज्य में टोल सीमा को क्रॉस करेंगे तो आपका टोल खुद ही कट जाएगा। इसके लिए आपको खाते को लिंक करना होगा, जैसे फास्टैग में बैलेंस डालते हैं। टोल प्लाजा पर आपकी कार को रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी और आपका सफर और ज्यादा आसान हो जाएगा।
क्या भारत में फास्टैग बंद हो जाएगा?
परिवहन मंत्री ने कहा की, राष्ट्रीय राजमार्गों पर सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम को FASTags के साथ में पायलट (Pilot) यानी की टेस्टिंग आधार पर लॉन्च किया जाएगा। इसका मतलब है की हाल फिलाल भारत में फास्टैग बंद नहीं होगा, उन्होंने कहा की सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम प्रणाली को चयनित राष्ट्रीय राजमार्गों (National Highways) पर शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
आपकी जानकारी के लिए बातादे की FASTags, एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है जिसमें ‘रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन’ (Radio Frequency Identification) टेक्नॉलजी का उपयोग टोल भुगतान करने के लिए किया जाता है। गाड़ियों पर आरएफआईडी (RFID) टैग का उपयोग उन ग्राहकों से सीधे भुगतान करने के लिए किया जाता है जो प्रीपेड, बचत या चालू खातों से जुड़े होते हैं।
केसे काम करेगा नया GPS-based toll collection system?
गड़करी ने बताया कि जीपीएस (GPS) पर आधारित यह तकनीक सड़कों पर गाड़ियों द्वारा कवर की गई सटीक दूरी के आधार पर टोल शुल्क निर्धारित करेगी। इस प्रक्रिया के माध्यम से, टोल सीधे वाहन की नंबर प्लेट से जुड़े बैंक खातों से कटेगा । नंबर प्लेट की पहचान सड़कों पर लगे Automatic Number Plate Reader (ANPR) कैमरों द्वारा की जाएगी ।
FASTags और ANPR तकनीक के बीच का अंतर समझाते हैं
फास्टैग्स सिस्टम टोल प्लाज़ा पर स्कैनर से लैस होती है और यह इलेक्ट्रॉनिक टोल भुगतान को सरल बनाती है, जिससे वाहनों को बिना रुके प्लाज़ा से गुज़रने की सुविधा मिलती है। जबकि जीपीएस-आधारित प्रणाली में, ANPR तकनीक द्वारा मापी गई दूरी के आधार पर टोल काटा जाएगा जिससे प्लाज़ा की आवश्यकता पूरी तरह से हट जाएगी।
महत्वपूर्ण बात यह है कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) वर्तमान में लगभग 40,000 करोड़ रुपये का टोल आय जुटाती है। यह आंकड़ा अगले 2-3 सालों में 1.40 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ने की संभावना है।
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